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भारत का वर्तमान दौर निश्चित ही राष्ट्र का ऐतिहासिक काल है। गुजरते सोलहवीं आम चुनाव में उमड़ते जन-गण की ,पिछले दशकों में करीब दस फीसदी
बढ़े मतदान प्रतिशत भी दर्शाता है राजनीति के अच्छे दिन आने वाले हैं।
वास्तव में बृहद भारत को परम वैभव बनाने के लिये देश में वोट बैंक की
राजनीति को खत्म करना ही समय की मांग है। ऐसे भी वोट बैंक की राजनीति में
भारत का बहुसंख्यक समुदाय पिछले ६७ सालों से पीसाता रहा है। परिवर्तन ही
अखंड सत्य है और भारत के राजसत्ता पर दक्षिणपंथी सरकार की ही दरकार
है।जबतक मातृभूमि का तपा तपाया सच्चा सपूत राष्ट्र का नेतृत्व नहीं करेगा
तबतक देश पुनः विश्वगुरु नहीं बन पाएगा। अब ये प्रश्न भी यहाँ अपरिहार्य है
कि,आखिर वर्तमान चुनावों में दशकों बाद क्यों और किसके आकर्षण से लोग भारी
मतदान को घर से निकल रहे है,ये साफ तौर पर परिवर्तन की सुगबुगाहट है।सुधी
पाठकों को स्मरण हो भारत का आजादी काल १९४७ का अंग्रेजी कैंलेंडर और वर्तमान
वर्ष का कैंलेंडर,दिन तारीख माह एक समान है। ये एक अभूतपूर्व संयोग है।तभी तो
ऐसा लगता है मानो राष्ट्र के अच्छे दिन आने वाले हैं।
-नारायण कैरो,लोहरदगा।
courtesy:narayankairo.com
१४ मई २०१४,मंगलवार
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