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प्रकृति नव विहार को निकल
चली है कल तक जो पास
था वो अब दूर हो गया,तेरह
का सांझ ढल चुकी है और तमाम
उठापठक और उतार-
चढ़ाव को समेटे २०१३ का साल गुजर गया साथ ही भारत के
सामने
नई चुनौतियों को छोड़ नूतन
आगमन का द्वार भी खोल
गया। वर्तमान नया साल से
भारतीय जनमानस को काफी उम्मीदें है। जब साल
१९४७ में जब भारत को अंग्रेजों
से आजादी मिली थी तब
देश चैन का सांस ले
सका था बड़ी मुश्किल
थी गुलामी की रात फिर संघर्ष,धैर्य और विश्वास से
नया सवेरा आया था तथा देश के
लिये ये अभूतपूर्व सुखद संयोग
ही है
कि,आजादी काल का तब १९४७
का अंग्रेजी कैलेंडर और इस वर्ष२०१४ का कैलेंडर
के दिन तारिख,माह सभी एक
समान हैं। आज के वर्तमान बृहद
भारत में निश्चित नव परिवर्तन
की आस है आज
फिर से एक नवोदय का इन्तजार है।ऐसा नवोदय
जो समाज को एकसूत्र में
पिरो सके,
जाति-
पाति,बड़ा छोटा,गरीब-अमीर
जैसी खाई,आपसी दूरियाँ और तमाम सामाजिक
असमानता रुपि अंधकार
को मीटा दे ,भारतीय
राजनीति के फलक पर
चट्टानी नेतृत्व का आर्विभाव
करे,राष्ट्र के हर दिशाओ को समृद्धी के किरणों से सींचे।
नवप्रभात की नूतन किरणे राष्ट्र
और समाज में मौजूद
आपसी मतभेदों और
दूरियों को पाटने का कार्य करे।
देश की समस्यायें सुलझे ,सभी एक जूट हो,आपसी प्रेम
बढ़े,सुख-संपदा का भोर
हो,ना कहीं कलह,ना कहीं शोर
हो
भारत भूमि को ऐसे नवोदय
का इन्तजार है।
-नारायण कैरो
४/१/२०१४
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